फोबिया

 

फोबिया


ज्यादातर लोगों को किसी न किसी चीज से डर लगता है। बल्कि दूसरे शब्दों में कहें तो, डर हम सभी के भीतर पाया जाता है। ये किसी में कम और किसी में ज्यादा हो सकता है, लेकिन जब डर जरुरत से ज्यादा बढ़ जाए तो एक गंभीर मानसिक विकार का रूप ले लेता है, इसी को फोबिया कहते हैं।


'फोबिया' ग्रीक शब्द 'Phobos' से निकला है। अगर आप जरुरत से ज्यादा और बिना किसी कारण के डरते हैं तो ये फोबिया है। अगर आप फोबिया के शिकार हैं, तो जिस चीज से आप डरते हैं उसका सामना होने पर आपको बहुत ज्यादा डर लगेगा। हो सकता है कि नर्वस भी हो जाएं।


ये डर किसी खास जगह, स्थिति या चीज से लग सकता है। चिंता के सामान्य डिसऑर्डर से हटकर फोबिया अक्सर किसी चीज से जुड़ा होता है।


फोबिया के असर से आपको बहुत ज्यादा तकलीफ का सामना भी करना पड़ सकता है। ये भी संभावना होती है कि ताकत होते हुए भी आप प्रतिक्रिया देने में ही सक्षम न हो पाएं। ये डर आपके काम, स्कूल और निजी रिश्तों में भी दखल दे सकता है।


एक अनुमान के मुताबिक, ​लगभग 19 मिलियन से ज्यादा भारतीय नागरिक किसी न किसी फोबिया के शिकार हैं। फोबिया, उनकी निजी जिंदगी में मुसीबत की वजह बन चुका है। मेरी सलाह है कि ऐसी किसी भी स्थिति से बचने का सबसे सही तरीका यही है कि आप डॉक्टर से इस बारे में बात करें।


फोबिया और डर



फोबिया और डर, दोनों में काफी अंतर है। डर एक भावनात्‍मक रेस्पांस है, जो आमतौर पर किसी से धमकी मिलने या डांट पड़ने पर होता है। ये बेहद सामान्‍य बात है और कोई बीमारी नहीं है। लेकिन फोबिया, डर का खतरनाक और अलग ही लेवल है। फोबिया में डर इतना ज्यादा होता है कि इंसान इसे खत्म करने के लिए अपनी जान पर भी खेल सकता है।


फोबिया के कारण


जेनेटिक और पर्यावरण के फैक्टर की वजह से भी आप फोबिया के शिकार हो सकते हैं। ऐसे बच्चे जिनके परिवार के किसी सदस्य को एंग्जाइटी डिसऑर्डर (anxiety disorder) की शिकायत रही हो, वह भी फोबिया के शिकार हो सकते हैं।


इसके अलावा तनाव देने वाली घटनाएं, जैसे किसी की मृत्यु हो जाना, किसी का डूब जाना भी फोबिया को जन्म दे सकती हैं। संकरी जगहों, ऊंची जगहों, जानवरों और कीड़े के काट लेने का भय भी ऐसे फोबिया को जन्म दे सकता है।


कुछ खास मेडिकल समस्याओं का इलाज करवा रहे लोग भी फोबिया के शिकार हो सकते हैं। ऐसा पाया गया है कि ब्रेन की सर्जरी होने के बाद कई लोगों के मन में अजीब से फोबिया जन्म लेते हैं। कई बार जरूरत से ज्यादा डांट-फटकार और डिप्रेशन के कारण भी फोबिया हो सकता है।


फोबिया और सिजोफ्रेनिया


सिजोफ्रेनिया में, लोगों को पास की चीजों को देखने और सुनने में भ्रम होता है। धुंधला दिखना, किसी चीज के होने का भय होना, नकारात्मक लक्षण जैसे कि एनाडोनिया और कई अव्यवस्थित लक्षण भी होते हैं।


फोबिया बेवजह भी हो सकता है। लेकिन फोबिया वाले लोग किसी वस्‍तु का वास्तविक रूप पहचानने में कई बार गलतियां कर देते हैं।



फोबिया के लक्षण



फोबिया के बहुत सारे लक्षण होते हैं। इन लक्षणों से आसानी से फोबिया का पता लगाया जा सकता है। इस आर्टिकल में मैं कुछ सामान्य लक्षण बता रहा हूं, जो फोबिया के मरीज में सामान्य तौर पर पाए जाते हैं।


(1) दिल की धड़कन का बहुत तेज हो जाना।


(2) सांस लेने में समस्या होना।


(3) तेज न बोल पाना या बोल ही न पाना।


(4) मुंह सूखना।


(5) पेट में मरोड़ उठना।


(6) ब्लड प्रेशर बढ़ जाना। या घट जाना


(7) हाथ पैरों में कंपकपी होना।


(8) सीने में दर्द या घबराहट होना।


(9) चक्कर आना या हल्कापन महसूस होना।


(10) बहुत ज्यादा पसीना आना ओर कान गर्म होना।


फोबिया के प्रकार


भारतीय के साईकैट्रिक एसोसिएशन के अनुसार, लक्षणों और समस्या के आधार पर फोबिया 100 से ज्यादा प्रकार के हो सकते हैं। इस आर्टिकल में मैं आपको कुछ प्रमुख फोबिया के बारे में जानकारी दूंगा। जैसे-


(1) एगोरोफोबिया (Agoraphobia)


एगोरोफोबिया होने पर मरीज को भीड़-भाड़ वाली जगहों पर जाने से बहुत डर लगता है। उसकी सोच घर में बंद रहने की ही होती है। इस फोबिया के मरीजों को ऐसा भी लग सकता है कि भीड़ में कोई उन पर हमला कर देगा, जिससे वह बच नहीं पाएंगे।


वहीं गंभीर मेडिकल समस्याओं से जूझ रहे लोगों को भी कई बार ये समस्या हो सकती है। उन्हें लगता है कि भीड़ के बीच मेडिकल इमरजेंसी की स्थिति में उन तक मदद नहीं पहुंच पाएगी।


(2) सोशल फोबिया (Social phobia)


इस फोबिया को सोशल एंग्जाइटी डिसऑर्डर भी कहा जाता है। इस फोबिया का मरीज लोगों से मिलने, समूह में रहने, उनके बीच में अपनी बात रखने से भी डरता है। ये डर कई बार इतना ज्यादा होता है कि मरीज खुद को एक कमरे तक सीमित कर लेता है।


सोशल फोबिया के चरम पर पहुंचने पर मरीज सामान्य बातचीत जैसे टे​लीफोन पर बात करना, रेस्टोरेंट में फूड ऑर्डर करने में भी दिक्कत महसूस करता है।


(3) ग्लोसोफोबिया (Glossophobia)


ग्लोसोफोबिया को आमतौर पर परफॉर्मेंस एंग्जाइटी भी कहा जाता है। इस फोबिया का मरीज लोगों के सामने बोलने से घबराता है। इससे परेशान लोग जब भीड़ के सामने पहुंचते हैं तो उनकी स्थिति को कई शारीरिक लक्षणों से भी पहचाना जा सकता है। ग्लोसोफोबिया को दवाइयों और थेरेपी से ठीक किया जा सकता है ।


(4) एक्रोफोबिया (Acrophobia)


इस फोबिया के शिकार इंसान को ऊंचाई से डर लगता है। एक्रोफोबिया के मरीज को पहाड़ों, पुल और बहुमंजिली इमारतों में जाने से डर लगता है। फोबिया के लक्षणों में चक्कर आना, पसीना आना और ऐसा महसूस होना कि वे बाहर कब निकलेंगे या बेहोश हो जाएंगे, शामिल हैं।


(5) क्लाउस्ट्रोफोबिया (Claustrophobia)



क्लाउस्ट्रोफोबिया के मरीज को संकरी जगहों पर जाने से डर लगता है। जब ये समस्या चरम पर होती है तो, मरीज को कार और लिफ्ट में जाने से भी डर लगता है।


(6) एवियोफोबिया (Aviophobia)


इस फोबिया से परेशान शख्स को हवाई जहाज में उड़ने से डर लगता है।


(7) डेंटोफोबिया (Dentophobia)


डेंटोफोबिया के मरीज को दांतों के डॉक्टर या दांतों के इलाज की प्रक्रिया से डर लगता है। ये फोबिया ज्यादातर किसी बुरे अनुभव के कारण होने लगता है। इस समस्या से परेशान मरीज तकलीफ होने पर भी डॉक्टर के पास नहीं जाना चाहता है।


(8) हीमोफोबिया (Hemophobia)


हीमोफोबिया से परेशान इंसान, खून देखकर डर जाता है। इस बीमारी के चरम में इंसान लाल रंग को देखकर भी भय महसूस करने लगता है।


(9) अरचनोफोबिया (Arachnophobia)


इस किस्म के फोबिया में इंसान को मकड़ियों (spiders) से बहुत डर लगता है।


(10) साइनोफोबिया (Cynophobia)


इस फोबिया के मरीज को कुत्तों से बहुत डर लगता है।


(11) ओफिडियोफोबिया (Ophidiophobia)


इस समस्या से परेशान मरीज को सांपों और बाद में रेंगने वाले हर जीव से डर लगने लगता है।


(12) निक्टोफोबिया

 (Nyctophobia)


इस फोबिया में लोगों को रात के वक्त या अंधेरे से डर लगता है। ये डर ज्यादातर बचपन में शुरू होता है। लेकिन जब ये डर हद से ज्यादा बढ़ जाता है तब ये फोबिया बन जाता है।


फोबिया के खतरे 


ऐसे लोग जिन्हें जे​नेटिक या वंशानुगत एंग्जाइटी की समस्या रही हो, उन्हें आसानी से फोबिया की समस्या हो सकती है। उम्र, सामाजिक आर्थिक स्थिति और जेंडर भी कुछ फोबिया में खतरनाक प्रभाव डाल सकते हैं।


उदाहरण के लिए, महिलाओं को ज्यादातर जानवरों से जुड़े फोबिया होते हैं। जबकि बच्चों और कुछ व्यस्कों को भी सोशल फोबिया पाया जाता है। निम्न सामाजिक आर्थिक स्थिति इस फोबिया को भयावह भी बना सकती है।


फोबिया का इलाज


फोबिया के इलाज के लिए डॉक्टर कई बार थेरेपी, दवाओं या फिर दोनों का सहारा लेते हैं। फोबिया कोई छूआछूत की बीमारी नहीं है। ये एक आम समस्या है जो इलाज से ठीक हो सकती है।


संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी (Cognitive behavioral therapy)


संज्ञानात्मक व्यवहार थेरेपी या CBT टेक्निक का इस्तेमाल ज्यादातर फोबिया के इलाज में किया जाता है। इस थेरेपी में मरीज का सामना नियंत्रित स्थिति में उस चीज से करवाया जाता है, जिससे वह डरता है। इस इलाज से मरीज धीरे-धीरे सामान्य होने लगता है और उसकी एंग्जाइटी की समस्या खत्म होने लगती है।


फोबिया की दवाएं(Phobia Medication)


तनाव दूर करने वाली और एंटी एंग्जाइटी दवाएं फोबिया के इलाज में कारगर हो सकती हैं। ये मरीज को इमोशनल और शारीरिक सहारा देती हैं। लेकिन कभी भी डॉक्टर की सलाह के बिना इन दवाओं को नहीं लेना चाहिए। ये दवाएं आपको अन्य गंभीर समस्याओं का शिकार भी बना सकती हैं।


सारांश

अगर आपको फोबिया है, तो ये मुश्किल हो सकता है कि आप इसके इलाज की तलाश करें। फोबिया से निकलना भी मुश्किल होता है। लेकिन उम्मीद हमेशा रहती है। सही इलाज और देखभाल से आप अपने डर पर नियंत्रण पा सकते हैं और भरपूर जिंदगी जी सकते हैं।


हमारा ये आर्टिकल आपको कैसा लगा? मानसिक स्वास्थ्य से जुड़ी किसी भी समस्या के समाधान या सुझाव के लिए आप बेहिचक हमसे में संपर्क कर सकते हैं। हम आपकी मदद की हर संभव कोशिश करेंगे।

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